
आज के जमाने में डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में शायद ही कोई अनजान हो और सभी ये भी जानते हैं की ये कैसे होता है। ज्यादा मीठे का सेवन डायबिटीज को बुलावा देता है। जब लोगो को पता चलता है की उन्हें डायबिटीज है, तो वे घबरा जाते हैं क्योंकि वे डायबिटीज के बारे में नहीं जानते। एक डायबिटीज तो आपको ज्यादा नुक्सान पहुंचता है और दूसरा कम। इन्हें डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 कहा जाता है, हालांकि इनके लक्षण पहचानना मुश्किल होता है। कई बार तो ये डॉक्टर के भी पकड़ में नहीं आते हैं, फिर भी इनमे अंतर तो है आईये इन दोनों में अंतर जानते हैं :-
आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं की इन्सुलिन क्या है ?इन्सुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो, हमारे खाए हुए चीनी को उस उर्जा में बदलने में मदद करता है, जीस उर्जा में हमारा शरीर उसे खाता है। जब शरीर में उचित मात्रा में इन्सुलिन नहीं होता है, तब हम जो चीनी खाते हैं वो उर्जा में ना बदलकर सीधे हमारे खून में जाता है, यही डायबिटीज का कारण बनता है।
- अगर आप टाइप 1 के मरीज हैं तो, आपका शरीर बिलकुल भी इन्सुलिन नहीं बनाता है। क्योंकि इस रोग में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, आपके अग्नाशय में इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओ पर हमला कर उन्हें नष्ट करती है, जबकि टाइप 2 वाले इन्सुलिन तो बनाते हैं लेकीन उन्हें इसका उपयोग करने में बड़ी परेशानी होती है। टाईप 2 ज्यादातर मोटे या उन लोगों को होता है जो ज्यादा शारीरिक मेहनत वाला काम नहीं करते हैं।
- टाईप 1 वाले केक वगेैरा जैसी हल्की-फुल्की मीठी चीजें खा सकते हैं, जबकि टाईप 2 वालों को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
- टाईप 2 वालों में बिमारी के लक्षण जल्दी नहीं दीखता और कई बार तो कई साल भी लग जाते हैं। क्योंकि इसमें लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। जबकि टाईप 1 में लक्षण तेजी से दीखते हैं, यही कोई 2-4 हफ्ते। ये अक्सर बचपन या किशोरावस्था में आता है 30 से कम उम्र के लोगों को जबकि टाइप 2 ,45 उम्र के ऊपर के लोगों को होता है ।
- टाइप 1 वालों को रोजाना इन्सुलिन के टिके या दवाई लेनी पड़ती है, लेकिन टाइप 2 वालों को सिर्फ अपने खान-पान का ध्यान रखना पड़ता है और थोडा व्यायाम करना पड़ता है। इसमें दवा लेने की कोई जरुरत नहीं है, लेकिन अगर ये पुराना है तो दवा लेनी पड़ सकती है।