
28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है। इसका कारण लोगों में हेपेटाइटिस के बारे में लोगों को जागरूक करना है। हेपेटाइटिस एक लीवर की बिमारी है, जो वायरल इन्फेक्शन के कारण होता है। हेपेटाइटिस की बिमारी मुख्य रूप से गर्मी और बरसात के समय होता है। क्योंकि इस समय पानी काफी दूषित हो जाता है, जो की इस बिमारी के होने के मुख्य कारणों में से एक है। इस बिमारी में लीवर में सुजन आ जाती है। जिससे लीवर के ठीक से कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। हेपेटाइटिस के वायरस 5 प्रकार के होते हैं ‘ए’,’बी’,’सी’,’डी’ और ‘ई’। यही पांचो वायरस हेपेटाइटिस होने के मुख्य कारक हैं ।
हेपेटाइटिस होने के कारण
1.हेपेटाइटिस के वायरस ज्यादातर दूषित खाना और दूषित पानी की वजह से फैलते हैं।
2.ज्यादा शराब और लगातार इसके सेवन से भी हेपेटाइटिस होता है। इसे अल्कोहल हेपेटाइटिस कहते हैं। अगर आप लगातार अल्कोहल का सेवन करते हैं तो आपको लीवर फेल होने और सिरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
3.कुछ दवाईयां जैसे टीबी,दिमागी दौरा,पेन किलर आदि में कुछ ऐसी दवाए हैं। जिसका बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन लीवर को क्षतिग्रस्त करता है, जिस कारण लीवर में सुजन आ जाती है।
हेपेटाइटिस के वायरस 5 प्रकार के होते हैं। इसमें हर वायरस एक अलग प्रकार की बिमारी लाता है। आईये जाने की ये वायरस किस कारण फैलते हैं।
1.हेपेटाइटिस ‘ए‘:-हेपेटाइटिस ‘ए’ के संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने,उसके द्वारा त्यागे मल और दूषित हुए पानी के संपर्क में आने से फैलता है ।वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार हर साल लगभग 2 मिलियन लोग इस वायरस के चपेट में आते हैं।
2.हेपेटाइटिस ‘बी’ :-हेपेटाइटिस के सारे वायरसों में हेपेटाइटिस ‘बी’ के वायरस को सबसे खतरनाक माना जाता है। ये वायरस एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में यूज़ किये हुए सुई,प्रयोग में लायी गयी रेज़र और असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से फैलता।है ये वायरस शरीर के तरल पदाथ जैसे :ब्लड,सीमेन आदि के द्वरा ज्यादा फैलते हैं। इसके वायरस को पूरी तरह शरीर से खतम नहीं किया जा सकता। हालाँकि कुछ ऐसी दवाएं हैं जो इसे 95% तक समाप्त कर देती हैं लेकिन पूरी तरह नहीं।
3.हेपेटाइटिस ‘सी’:-हेपेटाइटिस ‘सी’ ‘सी’ वायरस के कारण होता है। ये वायरस भी संक्रमित व्यक्ति के यूज़ किये रेज़र और ऐसे व्यक्ति के साथ बनाए गये शारीरिक सम्बन्ध से फैलता है, ये वायरस तरल पदार्थ से ज्यादा फैलता है।
4.हेपेटाइटिस ‘डी’:-हेपेटाइटिस ‘डी’ ‘डी’ वायरस के कारण होता है ये भी ब्लड से फैलता है।इस वायरस की एक खासियत ये है की ये सिर्फ उन्ही लोगों को हो सकता है। जो पहले से हेपेटाइटिस ‘बी’ के मरीज हैं, बिना ‘बी’ वायरस के वायरस ‘डी’ का होना नामुमकिन है। जब दो वायरस एक साथ हो जाते हैं तो. बीमित व्यक्ति की हालत और ज्यादा गंभीर हो जाती है स्थिति बाद से बदतर होने लगती है।
5.हेपेटाइटिस ‘ई’:-हेपेटाइटिस ‘ई’ ‘ई’ वायरस के कारण होता है। ये ज्यादातर उन इलाको में पाए जाते है, जहाँ स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाता। दूषित पानी,दूषित परिसर,दूषित खाना इसके फैलने के मुख्य कारण हैं। इस वायरस से बचने के लिए अपने आस-पास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। संक्रमित व्यक्ति के तौलिये,कपडे का इस्तमाल ना करें।
हेपेटाइटिस के लक्षण
1.थकान ।
2.भूख न लगना,पेट में दर्द ।
3.उल्टी होना ।
4.बिना कारण वजन घटना ।
5.हाथ-पैरों में सुजन ।
लीवर बायोप्सी,लीवर इन्फेक्शन टेस्ट,लीवर के अल्ट्रासाउंड आदि से भी इसकी जाँच की जाती है ।
हेपेटाइटिस से बचाव
आईये जानते हैं की हेपेटाइटिस का इलाज कैसे हो सकता है। ये इस बात पर निर्भर करता है की आप की बिमारी कितनी पुरानी है। अगर नयी है यानि की 2-4 दिन, तो फिर परहेज या बचाव से काम चल जाएगा। अगर ज्यादा पुरानी बिमारी है तो फिर दवाई या टीका लेना पड़ सकता है।
हेपेटाइटिस ‘ए’
हेपेटाइटिस ‘ए’ वैसे कोई गंभीर संक्रमण नहीं है। इसमें आप को अपने आस-पास साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इसमें अगर आपको उल्टी या दस्त की शिकायत है तो आप डॉक्टर से दवाई ले सकते हैं। या फिर हेपेटाइटिस ‘ए’ का टीका भी आता है। ये 2 टीके का कोर्स होता है, जिसे आप हेपेटाइटिस ‘ए’ के संक्रमण के दौरान ले सकते हैं।
हेपेटाइटिस ‘बी’
सबसे घातक हेपेटाइटिस ‘बी’ को माना जाता है। अगर वायरल मामुली है तो कोई दवाई की जरुरत नहीं होती। अगर मरीज क्रोनिक हेपेटाइटिस ‘बी’ से पीड़ित है तो दवा की जरुरत होती है। इसके लिए मुहं से खाने वाली और टीका दोनों ही प्रकार की दवायें बाज़ार में मौजूद हैं। कई मरीजों को तो दवाई कई महीनो या फिर साल भर भी लेना पड़ सकता है।ये मरीज के बीमारी हिस्ट्री पर निर्भर करता है। हेपेटाइटिस ‘बी’ के टीका छोटे बच्चों को भी जन्म के 6 महीने के अन्दर लगाई जाती है ये एक 3 टीकों का कोर्स होता है।
हेपेटाइटिस ‘सी’
हेपेटाइटिस ‘सी’ के वायरल से बचने के लिए भी बाज़ार में दवाएं मौजूद हैं। अगर कोई ऐसा मरीज है जिसने इतिहास में बहुत ज्यादा मात्रा में अल्कोहल लिया है। तो उसके इलाज में थोड़ी दिक्कत आ सकती है।
हेपेटाइटिस ‘डी’
हेपेटाइटिस ‘डी’ के लिए वैसे तो बाज़ार में कोई दवा मौजूद नहीं है, लेकिन इसके लिए अल्फ़ा इंटरफेरॉन नामक दवा लिया जाता है। लेकिन ये भी पूरी तरह वायरस ‘डी’ का इलाज नहीं कर पाता। ये भी सिर्फ 25%-30% तक ही इलाज कर पाता है, इससे बचाव और जागरूकता ही इसका कारगर उपाय है ।
हेपेटाइटिस ‘ई’
हेपेटाइटिस ‘ई’ में भी साफ़-सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इस वायरस का भी बाज़ार में कोई टीका या दवा उपलब्ध नहीं है। शायद फ्यूचर में इसका इलाज बाज़ार मौजूद हो। इस वायरल से ग्रसित लोगों को ज्यादा आराम करने,लिक्विड खाद्य पदार्थों का ज्यादा यूज़ करने और अल्कोहल से बचने की खास सलाह दी जाती है।
हेपेटाइटिस से बचाव मुश्किल नहीं
- हेपेटाइटिस से बचने का सबसे पहला उपाय ये है जागरूकता।
- इस वायरस से बचने के लिए अपने आस-पास सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- गन्दा और अस्वच्छ पानी ना पियें।
- खाना खाने से पहले हाथों को अच्छे से साफ़ करें।
- सार्वजानिक जगहों पर फास्टफूड खाने से बचें।
- दूसरों का यूज़ किया हुआ रेज़र या सीरिंज इस्तमाल ना करें।
- असुरक्षित यौन सम्बन्ध से बचें।